
बिहार के समस्तीपुर में विश्व एड्स दिवस पर जागरूकता फैलानी थी, मगर चर्चा कुछ और ही फैल गई। सदर अस्पताल से निकली रैली में ऐसे-ऐसे नारे लगे कि राहगीर रुक गए, छात्राएं झेंप गईं और सोशल मीडिया पर लोग हंसते-हंसते लोटपोट हो गए।
नारे थे भी बड़े ‘क्रिएटिव’— “परदेश नहीं जाना बलम जी, एड्स नहीं लाना बलम जी” और “अगर पति आवारा है, तो कंडोम ही सहारा है।”
भीड़ ने सोचा शायद कोई स्टैंड-अप शो चल रहा है… लेकिन नहीं, ये सरकारी अस्पताल से निकली जागरूकता रैली थी।
कैसे बढ़ा मामला? Viral video ने मचाया बवाल
ANM स्कूल की सैकड़ों छात्राओं और स्वास्थ्य कर्मियों ने शहर में रैली निकाली। नारे लगते गए, लोग मोबाइल निकालते गए… और देखते-देखते वीडियो वायरल हो गया।
नेटिज़न्स ने तुरंत कमेंट्री शुरू कर दी— “जागरूकता तो फैली, लेकिन किस दिशा में—ये अभी शोध का विषय है।”

सिविल सर्जन बोले—‘हमें भी अटपटे लगे’
जब वीडियो सोशल मीडिया पर धधकने लगा, तो सिविल सर्जन डॉ. एसके चौधरी सामने आए। उन्होंने कहा, रैली का आदेश स्वास्थ्य विभाग से आया था, लेकिन… नारे उन NGOs ने दिए थे, जो रैली का हिस्सा थे। विभाग ने ऐसे “फिल्मी-स्टाइल स्लोगन्स” अप्रूव नहीं किए।
सरकारी भाषा में इसे कहते हैं—“हमारी तरफ़ से नहीं था, हमारा क्या कसूर!”
एड्स जागरूकता का मकसद परे, नारे बने वायरल सेंसेशन
समस्तीपुर की गलियों में रैली की गूंज शायद कम रही, लेकिन सोशल मीडिया पर नारे अब भी गूंज रहे हैं। लोगों के मुताबिक— “जागरूकता हुई, लेकिन शर्मिंदगी मिक्स्ड एडिशन में।”
